Description:मिट्टी से घड़े बनाने वाले मनुष्य ने हजारों वर्षों में अपना भौतिक ज्ञान बढाकर उसी मिट्टी से यूरेनियम छानना भले ही सीख लिया हो, परन्तु उसके मानसिक विकास की अवस्था आज भी आदिकालीन है । काल कोई भी रहा हो - त्रेता, द्वापर या कलियुग । मनुष्य के सदगुण और दुर्गुण युगों से उसके व्यवहार को संचालित करते रहे हैं । यह गाथा किसी एक विशिष्ट नायक की नहीं, अपितु सभ्यता, संस्कृति, समाज, देश-काल, निर्माण तथा प्रलय को समेटे हुए एक सम्पूर्ण युग की है । वह युग, जिसमें देव, दानव, असुर एवं दैत्य जातियां अपने वर्चस्व पर थीं । यह वह युग था, जब देवास्त्रों और ब्रह्मास्त्रों की धमक से धरती कम्पित हुआ करती थी । शक्ति प्रदर्शन, भोग के उपकरणों को बढ़ाने, नए संसाधनों पर अधिकार तथा सर्वोच्च बनने की होड़ ने देवों, असुरों तथा अन्य जातियों के मध्य ऐसे आर्थिक संघर्ष को जन्म दिया, जिसने सम्पूर्ण जंबूद्वीप को कई बार देवासुर-संग्राम की ओर ढकेला । परन्तु इस बार संग्राम-सिंधु की बारी थी । वह अति विनाशकारी महासंग्राम जो दस देवासुर-संग्रामों से भी अधिक विध्वंसक था । संग्राम-सिंधु गाथा का यह खंड देव, दानव, असुर तथा अन्य जातियों के इतिहास के साथ देवों की अलौकिक देवशक्ति के मूल आधार को उदघाटित करेगा ।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Arthla (Sangram Sindhu Gatha, #1). To get started finding Arthla (Sangram Sindhu Gatha, #1), you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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